संसद में लगा 'जुमलाजीवी' और 'तानाशाह' जैसे शब्दों पर बैन: जानिए क्या है वजह
संसद में लगा 'जुमलाजीवी' और 'तानाशाह' जैसे शब्दों पर बैन: जानिए क्या है वजह?
संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है जिसके 12 अगस्त तक चलने की संभावना है। सत्र के शुरू होने से पहले ही लोकसभा सचिवालय ने कुछ हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों तथा वाक्यों की सूची जारी की है जिनको सदन में इस्तेमाल करना असंसदीय माना गया है।
यानि कि अगर संसद में इन शब्दों का इस्तेमाल किया गया तो उसे सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।
संसद में पहले भी अध्यक्ष पीठ ने ऐसे शब्दों को संसद की कार्यवाही से निकाले जाने का आदेश दिया है जिन्हें ऐसा माना गया है कि वे!
1. राष्ट्रहित के विरुद्ध हो
2. किसी भी विदेशी राष्ट्र के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने में बाधा डालते हो।
3. सेना को बदनाम करने वाले शब्द
4. संसद की सभा को हास्य पद बनाने या फिर अध्यक्ष पीठ की गरिमा को कम करने वाले शब्द।
संसदीय शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटाने की शक्ति
प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम 380 के अनुसार अध्यक्ष पेट किसी भी ऐसे शब्द का इस्तेमाल संसद में किसी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने या फिर किसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है तो अध्यक्ष उसे सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दे सकता है।
नियम 381 के अनुसार संसदीय कार्यवाही का कोई भी हिस्सा रिकॉर्ड से हटाया जा सकता है।
अनुच्छेद 105 (2) के अनुसार सदन की कार्यवाही को पब्लिश करने का अधिकार दिया गया है लेकिन इसके बावजूद सांसद को संसद में कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। यानि किसी भी मुद्दे पर बहस करते समय अपने शब्दों को संसद की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए इस्तेमाल करना चाहिए।
संसद में किन शब्दों को बैन किया गया है?
संसद में अध्यक्ष पीठ द्वारा जुमला जीवी, तानाशाह, जयचंद, नौटंकी, ढिंढोरा पीटना, करप्ट, निकम्मा, अंट शंट, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, बाल बुद्धि, काला दिन, गुंडागर्दी जैसे आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को बैन कर दिया गया है।
इसके अलावा अंग्रेजी भाषा में Abused, Crupt, हाइपॉक्रीसी, Incompetent, covid spreader, Drama, etc. शब्दों पर भी बैन लगा दिया गया है।
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