उत्तराखंड में लागू होगी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) : जानिए क्या है समान नागरिक संहिता?
उत्तराखंड में लागू होगी समान नागरिक संहिता: जानिए क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)
समान नागरिक संहिता लागू कर सकता है उत्तराखंड राज्य।
संविधान के अनुच्छेद 44 में है समान नागरिक संहिता का उल्लेख
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार के गठन के बाद अपने चुनावी वादे को पूरा करने की तरफ कदम बढ़ाया जो कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का था। अब तक सिर्फ भारत के गोवा राज्य में समान संहिता लागू है।
क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)?
भारत में अधिकतर निजी कानून धर्म के आधार पर तय किए गए हैं। मुस्लिम और ईसाई धर्म के अपने अलग कानून हैं जबकि अन्य धार्मिक समुदायों के कानून भारतीय संसद के संविधान पर आधारित हैं।
समान नागरिक संहिता का एक ऐसा कानून है जो प्रत्येक नागरिक के लिए समान है चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से संबंध रखता हो।
समान नागरिक संहिता का मतलब किसी भी धर्म या वर्ग से ऊपर उठकर पूरे देश में एक समान कानून को लागू करने से है। यानि समान नागरिक संहिता एक धर्मनिरपेक्ष कानून है यह कानून किसी भी धर्म या जाति के पर्सनल लॉ से ऊपर है।
समान नागरिक संहिता के अंतर्गत आने वाले विषय
भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है।
वर्तमान समय में भारत देश में मुस्लिम, ईसाई, पारसी और हिंदू समुदाय के अपने अलग-अलग कानून है।
समान नागरिक संहिता के अंतर्गत शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से संबंधित रखता हो।
समान नागरिक संहिता लागू करने वाले देश (Uniform Civil Code)
ऐसे कई देश है जहां समान नागरिक संहिता लागू है जैसे अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट आदि।
क्या कहता है संविधान अनुच्छेद 44?
संविधान के भाग 4 में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 इस बात का उल्लेख किया गया है कि राज्य को विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी नीतियां तय करते हुए इन नीति निदेशक तत्वों को ध्यान रखना आवश्यक है इसी में अनुच्छेद 44 आता है जिसके अंतर्गत यह राज्य को उचित समय आने पर सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है।
अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर वर्ग से भेदभाव की समस्या को खत्म करना और देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच तालमेल को बढ़ाना है।
डॉ भीमराव अंबेडकर ने समान नागरिक संहिता के बारे में क्या कहा?
सविधान के पिता माने जाने वाले और संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान निर्माण के वक्त कहा था कि समान नागरिक संहिता अपेक्षित है लेकिन इसे विभिन्न धर्मावलंबियों की इच्छा पर छोड़ देना चाहिए। संविधान में अनुच्छेद 35 को अंगीकृत संविधान के अनुच्छेद 44 में शामिल कर दिया गया है और यह उम्मीद की गई है कि जब राष्ट्र एकमत हो जाएगा तो समान नागरिक संहिता अस्तित्व में आ जाएगी।
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