अफगानिस्तान के पंजशीर की खूबसूरत घाटी और डरता तालिबान- क्या है पंजशीर के शेर का इतिहास जानें

अफगानिस्तान की पंजशीर की खूबसूरत घाटी और डरता तालिबान - क्या है पंजशीर के शेर का इतिहास जानें 





अब तक अफगानिस्तान के लगभग सभी मुख्य क्षेत्रो पर कब्ज़ा जमाने के बाद अब तालिबान की नज़र अफगानिस्तान की खूबसूरत घाटी पंजशीर पर है। लेकिन पंजशीर घाटी को जीतना तालिबान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। पंजशीर एक ऐसा प्रांत रहा है जिस पर तालिबान अब तक कब्ज़ा नही कर पाया है।


पंजशीर घाटी का इतिहास क्या है?

'पंजशीर' जिसका अर्थ है पांच शेरों की घाटी। माना जाता है कि दसवीं शताब्दी के समय में इस क्षेत्र के पांच भाइयों ने मिलकर नदी पर बांध बना कर बाढ़ के पानी को नियंत्रित किया था। तभी से इस क्षेत्र को पंजशीर की घाटी कहा जाने लगा।

वर्ष 1980 के दशक में भी सोवियत संघ के खिलाफ इस क्षेत्र में प्रतिरोध किया गया था तथा 1990 के दशक में भी तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध किया गया था। जिस वजह से आज तक तालिबान के लिए पंजशीर पर कब्जा करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

पंजशीर की घाटी काबुल के उत्तर में हिंदुकुश पर्वत माला के पास स्थित है।




पंजशीर का शेर किसे कहा जाता है?

अहमद शाह मसूद को पंजशीर का शेर कहा जाता है। जिन्होंने तालिबान और सोवियत संघ के खिलाफ भी मोर्चा लिया था। अब उनके बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा संभाला है। उनके साथ-साथ पंजशीर घाटी के मुख्य नेता- अमरुल्लाह सालेह, बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी भी शामिल हैँ।

हाल ही में अहमद मसूद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है जिसमें उन्होंने खुद को तालिबान में शामिल होने की अफवाह को ख़ारिज किया है। बीते दिनों तालिबान के द्वारा यह अफवाह उड़ाई गई थी कि अहमद मसूद तालिबान में शामिल हो गए हैँ। अहमद मसूद भी अपने पिता के नक़्शे कदम पर चलते हुए तालिबान के खिलाफ खड़े हो गए हैँ।

साथ अहमद मसूद ने उस वीडियो में कहा कि उनकी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नही हैँ। और वह तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हैँ।

पंजशीर घाटी पर हमला ना करने का कारण पंजशीर घाटी की भौगोलिक स्थिति को माना जाता है। यह क्षेत्र चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। जिसे प्राकृतिक किला कहा जा सकता है। 






1 टिप्पणी:

Blogger द्वारा संचालित.